हवा के दम पर बिजली FREE, छोड़‍िए Solar, लगाइए Wind Turbine और भूल जाइए बिल

हवा से चलने वाली Wind Turbine तकनीक अब घर-घर को बिना रुके, कम लागत पर 24×7 बिजली देने का भरोसेमंद समाधान बन रही है

हवा से चलती बिजली का नया युग

बिजली बचाने की होड़ में सोलर पैनल ने अब तक बाज़ी मारी, मगर सूरज ढलते ही उत्पादन शून्य. पवन टरबाइन इस खालीपन को भरते हुए रात-दिन लगातार बिजली बनाती है. ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत के तटीय और मैदानी इलाकों की औसत हवाएँ 4-6 m/s रहती हैं, जो माइक्रो-विंड टरबाइन को भी चलाने के लिए काफी हैं.

सबसे कम खर्च में आज़ादी

जहाँ 3 kW का रूफ़टॉप सोलर सेट-अप 1.6-1.8 लाख रुपये तक जाता है, वहीं समान क्षमता की हाइब्रिड विंड टरबाइन-किट अब 1.2 लाख के करीब उपलब्ध है. इसमें इन-बिल्ट MPPT कंट्रोलर और लिथियम-आयन बैक-अप पैक भी शामिल रहते हैं, जिससे अतिरिक्त इन्वर्टर लागत बचती है. रख-रखाव? बस साल में एक बार बियरिंग ऑयल-चेंज और बोल्ट-टाइटनिंग—कुल खर्च लगभग ₹1,500.

भारतीय घरों के लिए तैयारी

महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र की राज्य योजनाएँ 30-40 % सब्सिडी दे रही हैं. शहरी अपार्टमेंट की छतों पर 1 kW वर्टिकल-आक्सिस टरबाइन लगाकर महीने की 100-120 यूनिट ज़रूरत पूरी की जा सकती है. ग्रामीण इलाकों में 3-5 kW हॉरिज़ॉन्टल-आक्सिस मॉडल पंपिंग मोटर से लेकर होम-वर्कशॉप तक चलाने में सक्षम हैं.

स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ

केंद्र सरकार की PM-KUSUM-C योजना अब पवन और सोलर हाइब्रिड माइक्रो-ग्रिड को भी शामिल कर चुकी है. नेट-मीटरिंग संशोधन के बाद पवन-उत्पादन को ग्रिड में डालने पर वही दरें मिलेंगी जो रिन्यूएबल पर्चेज ऑब्लिगेशन (RPO) के तहत तय हैं, यानी औसतन ₹3.12/यूनिट. इससे अतिरिक्त बिजली बेचने का मौका भी खुलेगा.

आगे का रास्ता

हवा हर रात बहती है और यही विंड टरबाइन की सबसे बड़ी ताक़त है. तकनीक सस्ती हो चुकी है, नीति-समर्थन तैयार है और इंस्टॉलेशन भी अब प्लग-एंड-प्ले मॉड्यूलर. अगर आप सच में ‘बिजली का बिल ज़ीरो’ सपना देख रहे हैं, तो अब वक्त है छत पर पवन चक्की घुमाने का.

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