Bifacial Solar Panel से दोगुनी बिजली कैसे मिलती है? जानें कीमत, फायदे और पूरी तकनीक

जैसे-जैसे भारत में सोलर एनर्जी की मांग तेजी से बढ़ रही है, वैसे-वैसे नई-नई टेक्नोलॉजी भी सामने आ रही हैं। उन्हीं में से एक है Bifacial Solar Panel, जो पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक बिजली पैदा करने की क्षमता रखते हैं। अगर आप अपने घर या बिजनेस के लिए सोलर सिस्टम लगवाने की सोच रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।

Bifacial Solar Panel क्या होता है?

Bifacial सोलर पैनल एक ऐसा पैनल होता है जो दोनों तरफ से सूरज की रोशनी को कैप्चर करता है – सामने से भी और पीछे से भी। इसका मतलब है कि यह पैनल ना केवल ऊपर से आने वाली सीधी धूप को बिजली में बदलता है, बल्कि ज़मीन या छत से रिफ्लेक्ट होकर आने वाली रोशनी से भी बिजली पैदा करता है।

ज्यादा बिजली कैसे बनाते हैं?

इसकी खासियत है ग्लास-टू-ग्लास तकनीक, जिससे पैनल के पीछे भी फोटोवोल्टिक सेल लगे होते हैं। जब रोशनी जमीन से टकराकर वापस आती है (जिसे अल्बेडो कहा जाता है), तो ये सेल उस पर भी प्रतिक्रिया करते हैं। इस तकनीक से ये पैनल पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में 10% से 30% तक अधिक बिजली पैदा कर सकते हैं, खासकर जब उन्हें सफेद या रिफ्लेक्टिव सतह पर लगाया जाए।

Bifacial Panel की कीमत क्या है?

जहां एक सामान्य Mono या Poly सोलर पैनल की कीमत ₹24 से ₹28 प्रति वॉट होती है, वहीं Bifacial पैनल की कीमत ₹30 से ₹36 प्रति वॉट के बीच हो सकती है। यानी एक 1kW का Bifacial सोलर सिस्टम ₹30,000 से ₹36,000 तक में मिल सकता है (इंस्टॉलेशन और अन्य कॉम्पोनेंट को छोड़कर)। हालांकि, इसकी लंबी उम्र और ज्यादा उत्पादन इसकी लागत को जल्द ही वसूल कर लेते हैं।

क्या हैं फायदे?

Bifacial सोलर पैनल न केवल ज्यादा बिजली बनाते हैं, बल्कि यह कम जगह में अधिक आउटपुट देने में भी सक्षम होते हैं। इसके साथ ही ये पैनल ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और 20 से 30 साल तक चलने वाले होते हैं। इसके अलावा, यदि आप Net Metering का लाभ ले रहे हैं तो अतिरिक्त बिजली बेचकर अधिक बचत भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष: अगर आप ज्यादा बिजली उत्पादन चाहते हैं और लंबी अवधि की बचत को प्राथमिकता देते हैं, तो Bifacial Solar Panels आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकते हैं। थोड़ी ज्यादा शुरुआती लागत के बावजूद, ये पैनल लंबे समय तक बेहतर परफॉर्मेंस और रिटर्न देने में सक्षम हैं। भारत में बढ़ते बिजली बिल और ग्रीन एनर्जी की जरूरत को देखते हुए, यह भविष्य की तकनीक साबित हो सकती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख शिक्षा और जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी इंस्टॉलेशन से पहले MNRE से मान्यता प्राप्त वेंडर या विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

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