सोलर पैनल चुनने में हो रही है सबसे बड़ी गलती, अगर आप घर या व्यवसाय के लिए सोलर पैनल लगाने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। कई लोग सिर्फ कीमत देखकर सोलर सिस्टम खरीद लेते हैं, लेकिन DCR और Non-DCR के बीच का फर्क नहीं जानते। यही गलती बाद में भारी नुकसान का कारण बनती है। सही पैनल का चुनाव न सिर्फ सरकारी सब्सिडी पाने के लिए जरूरी है, बल्कि पावर परफॉर्मेंस और लॉन्ग टर्म वारंटी के लिहाज से भी बेहद अहम है।
DCR सोलर पैनल क्या होता है?
DCR (Domestic Content Requirement) वाले सोलर पैनल वो होते हैं जिनके सेल और मॉड्यूल दोनों भारत में बने होते हैं। यह पैनल पूरी तरह “Make in India” के तहत आते हैं और इन पर भारत सरकार की सेंट्रल सब्सिडी मिलती है। DCR पैनल को खासतौर पर सरकारी योजनाओं, सरकारी इमारतों और सब्सिडी स्कीम्स के लिए अनिवार्य किया गया है।
Non-DCR सोलर पैनल क्या होता है?
Non-DCR सोलर पैनल में सेल या मॉड्यूल या दोनों भारत के बाहर बने होते हैं, जैसे चीन, ताइवान या मलेशिया से आयातित। ये पैनल अक्सर सस्ते होते हैं लेकिन इन पर सरकारी सब्सिडी लागू नहीं होती। घरेलू उपयोग के लिए लोग इन्हें इसलिए चुनते हैं क्योंकि शुरुआती कीमत कम होती है, लेकिन बाद में परफॉर्मेंस, वारंटी और सपोर्ट को लेकर समस्याएं सामने आ सकती हैं।
सब्सिडी के लिए कौन सा जरूरी है?
अगर आप Grid Connected Rooftop Solar Scheme के तहत MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) से सब्सिडी लेना चाहते हैं, तो आपको DCR सोलर पैनल ही लगवाना होगा। केवल DCR पैनल ही MNRE की सब्सिडी के योग्य माने जाते हैं और DISCOM द्वारा अप्रूव किए जाते हैं। यदि आपने Non-DCR पैनल लगा लिया, तो आपको सब्सिडी नहीं मिलेगी और शिकायत करने पर भी सहायता नहीं मिलेगी।
परफॉर्मेंस और वारंटी में कौन बेहतर?
DCR पैनल अधिकतर भारत की टॉप कंपनियों जैसे Tata Power, Waaree, Vikram Solar आदि द्वारा बनाए जाते हैं, जिनकी 25 साल तक की परफॉर्मेंस वारंटी और 10–12 साल तक की प्रोडक्ट वारंटी होती है। वहीं Non-DCR पैनल पर भले ही दावा किया जाए, लेकिन बहुत सी बार इनकी वारंटी केवल पेपर तक सीमित रहती है। साथ ही इनके सेल और इनवर्टर की एफिशिएंसी भी कम हो सकती है।
कीमत में कितना फर्क होता है?
Non-DCR सोलर पैनल DCR के मुकाबले ₹3 से ₹5 प्रति वॉट तक सस्ते हो सकते हैं। लेकिन जब आप सब्सिडी को ध्यान में रखते हैं तो DCR पैनल कुल लागत में ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका सिस्टम 3 किलोवाट का है और DCR पैनल पर 40% सब्सिडी मिलती है, तो आपकी कुल लागत Non-DCR के मुकाबले कम हो सकती है।
इंस्टॉलेशन में कैसे करें सही चुनाव?
जब भी आप किसी एजेंसी से सोलर पैनल इंस्टॉल करवाएं, तो उनसे पहले ही यह लिखित रूप में पूछ लें कि वह DCR पैनल लगाएंगे या Non-DCR। साथ ही, MNRE या DISCOM से अप्रूव्ड लिस्ट भी जरूर जांच लें। इंस्टॉलेशन से पहले आपको DISCOM की वेबसाइट पर जाकर आवेदन भी करना होता है और वही तय करता है कि आपको सब्सिडी मिलेगी या नहीं।
निष्कर्ष
सोलर पैनल सिर्फ बिजली बचत का जरिया नहीं है, यह एक लंबे समय का निवेश है। ऐसे में DCR और Non-DCR का फर्क जानना बेहद जरूरी है। केवल सस्ते दाम देखकर गलत विकल्प न चुनें। सही पैनल का चुनाव न सिर्फ सरकार की सब्सिडी दिलाएगा, बल्कि आपको तकनीकी भरोसे, वॉरंटी और परफॉर्मेंस में भी राहत देगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख MNRE, DISCOM और प्रमुख सोलर कंपनियों की जानकारी पर आधारित है। सब्सिडी, पात्रता और DCR नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। कृपया नवीनतम जानकारी के लिए https://solarrooftop.gov.in या DISCOM पोर्टल देखें।
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