भारत के यह 3 फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स बना रहे हैं पावर का समंदर, एक बार देखा तो आंखें खुली की खुली रह जाएंगी!


भारत में अब पावर उत्पादन पानी के ऊपर हो रहा है। जानिए देश के टॉप 3 फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स जो झीलों में तैरते हुए बना रहे हैं ऊर्जा का महासागर।

पानी पर तैरती बिजली: फ्लोटिंग सोलर की नई क्रांति

पारंपरिक सोलर पैनल ज़मीन पर लगाए जाते थे, लेकिन अब भारत में ऊर्जा उत्पादन की तस्वीर बदल रही है। देश के कई हिस्सों में बड़े-बड़े जलाशयों, डैम और झीलों पर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। यह तकनीक न सिर्फ ज़मीन की बचत करती है, बल्कि पानी के वाष्पीकरण को भी रोकती है और बिजली उत्पादन की दक्षता को बढ़ाती है। आइए जानें भारत के उन 3 प्रमुख फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स के बारे में जिन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में तहलका मचा दिया है।

रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्लांट – तेलंगाना

तेलंगाना में NTPC द्वारा स्थापित यह प्लांट भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट है। रामागुंडम जलाशय पर फैला हुआ यह प्लांट लगभग 100 मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है। यह प्लांट लगभग 500 एकड़ क्षेत्र में फैला है और 2.5 लाख से अधिक सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसकी खास बात यह है कि यह थर्मल पावर प्लांट के पास स्थित है, जिससे बिजली वितरण में लॉस कम होता है और इंटीग्रेशन आसान होता है।

केरल का बाणासुर सागर डैम फ्लोटिंग सोलर प्लांट

केरल के वायनाड जिले में स्थित बाणासुर सागर डैम पर बना यह फ्लोटिंग सोलर सिस्टम भारत का पहला ऐसा प्लांट था जिसने दक्षिण भारत में इस तकनीक को बढ़ावा दिया। यह प्लांट भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन तकनीकी दृष्टि से यह बहुत उन्नत है। यहां पानी के ऊपर तैरते पैनल मौसम के अनुसार झुकते हैं जिससे बिजली उत्पादन में सुधार होता है और सिस्टम की लाइफ भी बढ़ती है।

तमिलनाडु का श्रीविल्लीपुथूर जलाशय फ्लोटिंग प्रोजेक्ट

तमिलनाडु में स्थित श्रीविल्लीपुथूर जलाशय पर बना यह प्रोजेक्ट राज्य की ग्रीन एनर्जी नीति का अहम हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट लगभग 45 मेगावाट की क्षमता के साथ स्थापित किया गया है और आसपास के गांवों को बिजली सप्लाई करता है। इसका अनूठा डिज़ाइन इसे चक्रवात व तेज बारिश से बचाता है और यह जल संरक्षण में भी सहायक है।

क्यों हैं ये प्रोजेक्ट्स खास?

इन फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये पारंपरिक ज़मीन-आधारित प्लांट्स से कहीं अधिक कुशल हैं। पानी की सतह ठंडी होती है जिससे पैनल गर्म नहीं होते और बिजली उत्पादन अधिक होता है। साथ ही, जलाशयों पर लगाए गए यह पैनल पानी के वाष्पीकरण को 30% तक कम करते हैं, जिससे जल संरक्षण भी होता है।

निष्कर्ष

भारत में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट्स की यह क्रांति दिखा रही है कि हम सिर्फ ज़मीन पर ही नहीं, अब पानी पर भी बिजली का समंदर रच सकते हैं। यह तकनीक न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि स्मार्ट ऊर्जा समाधान का भविष्य भी है। अब वक्त आ गया है कि दुनिया भारत की इस जल-ऊर्जा क्रांति को करीब से देखे।

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